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परमेश्वर विश्वासयोग्य हैं और उनकी वाचा अपरिवर्तनीय है। जब पूरी दुनिया कोविड-19 की महामारी के कारण गड़बड़ हो गई थी, तब फसह का पर्व निकट आ गया। फसह, जिसमें पापों की क्षमा, उद्धार, और अनन्त जीवन का परमेश्वर का वादा शामिल है, इसे मनाना पहले से कहीं अधिक अत्यावश्यक हो गया, क्योंकि दिन-ब-दिन पुष्टि किए गए मामलों और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही थी और दुनिया के कोने कोने में महामारी के प्रसार को रोकने के लिए शटडाउन और लॉकडाउन लगाया गया।
चर्च ऑफ गॉड वर्ल्ड मिशन सोसाइटी के प्रधान कार्यालय ने ऑनलाइन आराधना की घोषणा की ताकि चर्च के सदस्य अपने घरों में फसह मना सकें, और लगभग पचास भाषाओं में ऑनलाइन आराधना की वीडियो बनाकर उनको प्रकाशित किया। 7 अप्रैल की शाम(पवित्र कैलेंडर के अनुसार पहले महीने का चौदहवां दिन), कुछ देशों को छोड़कर जहां कोविड-19 नहीं फैला था, दुनिया भर के 175 देशों में चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों ने जो फसह का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, अपने घरों में ऑनलाइन आराधना के माध्यम से फसह मनाया। इसके बाद 8 तारीख को अखमीरी रोटी का पर्व और 12 तारीख को पुनरुत्थान का दिन भी ऑनलाइन आराधना के माध्यम से मनाया गया जिससे हम मसीह के बलिदान और पुनरुत्थान के अर्थ को स्मरण कर सके।
फसह जीवन की वाचा है, जिसे परमेश्वर ने सभी लोगों को उनके उद्धार के लिए दिया था। 3,500 साल पहले, मिस्र पर नौ विपत्तियां भेजी गई थीं जहां इस्राएलियों को गुलाम बनाया गया था। पानी खून में बदल गया; भूमि मेंढक, मक्खियों और महामारी से प्रभावित थी; पशुओं और लोगों को महामारी से मारा गया था; ओले गिरे; टिड्डियों के झुंड मैदान में भर गए; और आकाश में घोर अन्धकार छाया रहा। अंत में, हर घर के मनुष्य और पशु दोनों के पहिलौठों को मार डालने की भयानक विपत्ति आने वाली थी, परमेश्वर ने मूसा से कहा, “मेमनों को बलि करो और उसके लहू को प्रत्येक घर के अलंगों और चौखट के सिरे पर लगाओ। मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नष्ट न होगे।” जैसा कि वादा किया गया था, पवित्र कैलेंडर के अनुसार पहले महीने के चौदहवें दिन गोधूलि के समय, मिस्र के लोग विपत्ति से बच नहीं सके और उन्होंने अपने सभी पहिलौठों को खो दिया था। लेकिन, वह विपत्ति इस्राएलियों के घरों के ऊपर से गुजर गई, और इस घटना से इस्राएली मिस्र से मुक्त हुए। इस दिन को फसह कहा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, फसह का अर्थ है “विपत्ति हमारे ऊपर से गुजर जाना।” परमेश्वर ने इसे परमेश्वर के पर्व के रूप में नियुक्त किया और पीढ़ियों में एक सदा की विधि के रूप में मानाने की आज्ञा दी(निर्ग 7-12)।
नए नियम के अनुसार, 2,000 साल पहले यीशु ने क्रूस पर बलिदान होने से एक दिन पहले रात को अपने चेलों के साथ फसह मनाया था। उन्होंने अपने चेलों को रोटी और दाखमधु देते हुए कहा, “यह मेरा मांस है, और यह पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाने का मेरा लहू है,” और उन्होंने समझाया कि यह नई वाचा है। उन्होंने अपने चेलों को फसह की रोटी और दाखमधु खाने और पीने को दिया, जो उनके मांस और लहू को दर्शाता है, क्योंकि वह उत्सुकता से चाहते थे कि वे यीशु के अनमोल लहू के माध्यम से अनन्त जीवन और उद्धार प्राप्त करें(मत 26: 17-28, लूक 22:7-20, यूह 6:53-58)।
बाइबल इस बात की गवाही देती है कि इस युग में बहुत सारी विपत्तियां पृथ्वी पर आएंगी और परमेश्वर की मुहर, जिसके माध्यम से किसी को विपत्तियों से बचाया जा सकता है, परमेश्वर की संतान पर लगाई जाएगी। चाहे वह 3,500 साल पहले हो या 2,000 साल पहले हो या फिर आज, परमेश्वर हमेशा फसह के माध्यम से अपने लोगों पर उद्धार का चिन्ह लगाते हैं।
चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों जिन्होंने फसह के अर्थ को अपने हृदय पर उत्कीर्ण किया है, ने यीशु के नमूने और आज्ञा के अनुसार पैर धोने की विधि में भाग लिया और फसह को मनाया। सदस्य जिन्होंने फसह की रोटी और दाखमधु खा-पीकर मसीह के मांस और लहू में भाग लिया, उन्होंने परमेश्वर को उनके क्रूस पर के महान बलिदान के माध्यम से जीवन की वाचा को स्थापित करने के लिए बहुत धन्यवाद दिया।
यह केवल चर्च ऑफ गॉड वर्ल्ड मिशन सोसाइटी है जो यीशु की शिक्षा के अनुसार नई वाचा के फसह को मनाता है। सभी सदस्यों ने एक मन से प्रार्थना की कि कोविड-19 से पीड़ित सभी लोगों पर परमेश्वर की आशीष उंडेली जाए, और नई वाचा और फसह में छिपी परमेश्वर की सच्ची इच्छा और प्रेम का बहुत से लोगों को प्रचार करने का दृढ़ संकल्प लिया।